उत्तराखंड खाद्य सुरक्षा विभाग ने मोबाइल वैन से खाद्य पदार्थों की शुद्धता की करी जांच, कई खाद्य सामान में मिली मिलावट
मसूरी में खाद्य सुरक्षा विभाग ने माल रोड पर फूड विष्लेषण शाला वेन के माध्यम से खाद्य पदार्थों की जांच की जिसमें दूध, दूध से बने खाद्य पदार्थ, तेल, सहित आटा, दाल, चावल, जूस व अन्य पेय पदार्थों की जांच की । डिप्टी कमीश्नर खाद्य सुरक्षा विरेद्र सिंह बिष्ट और वरिष्ठ खाद्य सुरक्षा अधिकारी संजय तिवारी ने कहा कि मोबाइल वेैन चारधाम यात्रा के लिए चलायी जा रही है कि जो खाद्य पदार्थ बिक रहे है उनकी शुद्धता कितनी है। इसी कड़ी में मसूरी में पनीर, मिठाई, ,मसालों सहित अन्य खाद्य समार्गी की जांच की गई है जिसमें कुछ सामान में मिलवट मिली है पर उससे लोगांे को किसी भी प्रकार का नुकसान नही है। उन्होने कहा कि पूरे उत्तराखं डमें तीन फूड विष्लेषणशाला वेन है जो समय समय पर अलग अलग क्षेत्रो में जाकर खाद्य समार्गी की जांच कर लोगो को मिलावटी समाग्री के प्रति जागरूक करते है वह जो दुकानदार मिलवाटी समान बेचते है उनको भी चेतावनी दी जाती है ओर अगर चेतवानी के बाद भी दुकानदार मिलवटी खाद्य समाग्री बेचते हुए पाया जाता है तो उसके खिलाफ दण्डात्मक कार्यवाही की जाती है। उन्होने कहा कि मोबाइल जांच वैन एक चलती फिरती प्रयोगशाला के समान होती है, जिसमें त्वरित जांच की सुविधा होती है। यह वैन बाजार, मेलों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर जाकर खाद्य पदार्थों की मौके पर ही जांच करती है। इससे न केवल मिलावट की पहचान होती है, बल्कि दुकानदारों में भी एक डर बना रहता है जिससे वे मिलावट से बचते हैं।यदि कोई नमूना संदिग्ध पाया जाता है तो उसे राज्य प्रयोगशाला में भेजा जाता है और पुष्टि होने पर संबंधित व्यक्ति/दुकान पर खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 के तहत जुर्माना या अन्य दंड लागू होता है। इस मौके पर व्यापार संघ अध्यक्ष रजत अग्रवाल ने कहा कि स्वस्थ जीवन के लिए शुद्ध और पोषक खाद्य पदार्थों का सेवन आवश्यक है। परंतु आज के समय में मिलावटखोरी एक गंभीर समस्या बन चुकी है। ऐसे में खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा मोबाइल जांच वैन का उपयोग एक सराहनीय कदम है। भारत सरकार व एफएसएसएआई के माध्यम से की जा रही है यह जागरूकता वैन समस्त खाद्य पदार्थ की जांच की जा रही है ताकि मिलावट का पता चल सके। उन्होंने कहा कि अगर किसी को किसी खाद्य पदार्थ पर शक है तो वह जांच करा सकता है। इस पहल से जनता में जागरूकता भी बढ़ती है और उपभोक्ता अपने अधिकारों के प्रति सजग होते हैं।