Local & National News in Hindi
Logo
ब्रेकिंग
“उत्तराखंड के CM पुष्कर सिंह धामी का नया अवतार, AI कार्टून से बढ़ रही लोकप्रियता” पुल में कमीशन खा गए दलाल, कनेक्टिविटी न होने का है जनता को मलाल – जनसंघर्ष मोर्चा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में देहरादून को फिर से मिलेगी हरियाली और सांस्कृतिक पहचान त्रिस्तरीय पंचायत सामान्य निर्वाचन-2025 के तहत जनपद रुद्रप्रयाग में शांतिपूर्ण एवं निष्पक्ष मतदान सम... विद्युत फॉल्ट ठीक करने के दौरान हो रही श्रमिकों की मौतों का जिम्मेदार कौन? जनसंघर्ष मोर्चा सावन के पवित्र सोमवार को विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम में भी भक्तों द्वारा महादेव की विशेष पूजा अर्चन... हरिद्वार से डाक कांवड़ियों की रवानगी शुरू हो चुकी है… और अब कांवड़ मेले का अंतिम दौर अपने चरम पर है केंद्रीय गृह मंत्री ने बंपर निवेश पर पीठ थपथपाई, साथ ही ब्रांडिंग भी की कलयुग में दो श्रवण कुमार! #UttarakhandNiveshUtsav Trending No.1 Nationwide

मां सती का वह शक्तिपीठ, जहां मूर्ति के बिना होती है पूजा

42

भारत में माता सती के कुल 51 शक्तिपीठ हैं, इन सभी शक्तिपीठों की अपनी एक खासियत और मान्यताएं हैं. इन शक्तिपीठों में माता के अलग- अलग रूपों की पूजा अर्चना की जाती है. देवी मां का ऐसा ही एक मंदिर संगम नगरी प्रयागराज में है. खास बात यह है कि इस मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है.

अलोप शंकरी मंदिर पौराणिक मान्यता

पौराणिक इस कथा के अनुसार, दुखी भगवान शिव देवी सती के मृत शरीर के साथ जब आसमान में भ्रमण कर रहे थे, तब भगवान विष्णु ने उनका दुख कम करने के लिए अपने चक्र को देवी सती के शव पर फेंक दिया. जिस कारण देवी के शरीर के अलग-अलग टुकड़े हो गए और यह हिस्से धरती पर अलग-अलग जगह पर जा गिरे इसी स्थान पर माता सती के दाहिने हाथ का पंजा कुंड में गिरकर अदृश्य हो गया था. पंजे के अलोप होने की वजह से ही इस जगह को सिद्ध पीठ मानकर इसे अलोप शंकरी मंदिर का नाम दिया गया.

मूर्ति नहीं पालने की होती है पूजा

इस शक्तिपीठ में देवी मां की कोई मूर्ति नहीं है और श्रद्धालु एक पालने की पूजा करते हैं. देश के विभिन्न हिस्सों से आए श्रद्धालु इसी पालने का दर्शन करते हैं. मंदिर में लोग कुंड से जल लेकर पालने में चढ़ाते हैं. उसकी पूजा और परिक्रमा करते हैं. इसी पालने में देवी का स्वरूप देखकर उनसे सुख-समृद्धि और वैभव का आशीर्वाद लेते हैं. यहां नारियल और चुनरी के साथ जल और सिंदूर चढ़ाये जाने का भी खास महत्व है. नवरात्रि के पहले दिन आज गर्भ गृह में इस पालने के साथ ही पूरे मंदिर परिसर को खूबसूरती से सजाया गया है. वाराणसी और कोलकाता से कई क्विंटल फूल मंगाए गए हैं.

रक्षा सूत्र की है खास मान्यता

इस मंदिर में रक्षा सूत्र को बांधने को लेकर मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु देवी के पालने के सामने हाथों में रक्षा सूत्र बांधते हैं, माता रानी उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. हाथों मे रक्षा सूत्र रहने तक उसकी रक्षा भी करती हैं.

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.