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ग्वालियर से लापता हुईं BSF की आकांक्षा बोली- जिससे शादी तय हुई वह मनी माइंडेड था, तनाव में थी तो खुद चली गई

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ग्वालियर: सीमा सुरक्षा बल की टेकनपुर स्थित अकादमी से लापता हुईं महिला प्रशिक्षक आकांक्षा निखर और शाहाना खातून अभी कोलकाता में ही हैं। ग्वालियर पुलिस की टीम पूछताछ कर लौट रही है। आकांक्षा की मां ने तो उसके अपहरण की एफआईआर कराई थी, लेकिन जब आकांक्षा से ग्वालियर पुलिस की टीम ने पूछताछ की तो सामने आया कि आकांक्षा पर शादी करने के लिए दबाव था।

जिससे शादी तय हुई वह मनी माइंडेड निकला

आकांक्षा ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि जिससे शादी तय हुई थी, वह मनी माइंडेड निकला। उससे कुछ बातचीत की तो यह सामने आ गया, इसके बाद उससे रिश्ता तोड़ दिया, तबसे तनाव में रहने लगी थी। इसके अलावा भी पूछताछ में कई जानकारी पुलिस को दी हैं। उसने पुलिस को जो बताया, उसके मुताबिक शाहाना ने उसका अपहरण नहीं किया बल्कि उसकी मदद के लिए साथ गई थी।

आकांक्षा और शाहाना का पता लगाने के लिए बिलौआ थाना प्रभारी अभय प्रताप सिंह परमार अपनी टीम के साथ बंगाल गए थे। वहां सीमा सुरक्षा बल की मदद से आकांक्षा और शाहाना तक पहुंच गए। दोनों से कोलकाता स्थित मुख्यालय में ही बात की। ग्वालियर पुलिस की टीम ने आकांक्षा से अपहरण के बारे में पूछा तो उसने इनकार किया।

तनाव में थी तो मोबाइल का डाटा किया डिली

उसने बताया कि वह तनाव में थी, इसलिए मोबाइल का पूरा डेटा हटाकर कर कमरे में रखा और अकेली निकल गई। उसे जाते हुए शाहाना ने देख लिया था। शाहाना से वह सारी बात साझा करती थी। शाहाना भी उसके पीछे आ गई, उसे डर था कि वह कोई गलत कदम न उठा ले। दोनों ग्वालियर आए और ट्रेन से दिल्ली पहुंच गए। यहां से मुर्शिदाबाद के लिए रवाना हो गए।

साथी महिला आरक्षक को विश्वास में लेकर पहुंची ग्वालियर पुलिस की टीम

ग्वालियर पुलिस की टीम कोलकाता पहुंच गई थी। यहां सीसुब आफिस में संपर्क किया। सीसुब मुख्यालय में एक महिला आरक्षक पदस्थ थी, जिसने शाहाना और आकांक्षा के साथ बंगाल में ही ट्रेनिंग की थी। उसे ही मुर्शिदाबाद भेजा गया। उसने दोनों तक सूचना पहुंचाई। महिला आरक्षक ने विश्वास में लिया। इसके बाद सीसुब और ग्वालियर पुलिस की टीम उस तक पहुंच सकी।

पांच बहनें, घर का खर्च आकांक्षा की तनख्वाह से चलता है

पूछताछ में यह भी सामने आया है कि आकांक्षा निखर के अलावा ऊषा निखर की चार बेटियां और हैं। तीन की शादी हो चुकी है, जबकि आकांक्षा और उसकी एक बहन अभी कुंवारी है। आकांक्षा की तनख्वाह से ही घर का खर्च चलता है। जिस बैंक खाते में तनख्वाह जाती है, उसका एटीएम कार्ड तक आकांक्षा नहीं रखती।

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