Local & National News in Hindi
Logo
ब्रेकिंग
“उत्तराखंड के CM पुष्कर सिंह धामी का नया अवतार, AI कार्टून से बढ़ रही लोकप्रियता” पुल में कमीशन खा गए दलाल, कनेक्टिविटी न होने का है जनता को मलाल – जनसंघर्ष मोर्चा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में देहरादून को फिर से मिलेगी हरियाली और सांस्कृतिक पहचान त्रिस्तरीय पंचायत सामान्य निर्वाचन-2025 के तहत जनपद रुद्रप्रयाग में शांतिपूर्ण एवं निष्पक्ष मतदान सम... विद्युत फॉल्ट ठीक करने के दौरान हो रही श्रमिकों की मौतों का जिम्मेदार कौन? जनसंघर्ष मोर्चा सावन के पवित्र सोमवार को विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम में भी भक्तों द्वारा महादेव की विशेष पूजा अर्चन... हरिद्वार से डाक कांवड़ियों की रवानगी शुरू हो चुकी है… और अब कांवड़ मेले का अंतिम दौर अपने चरम पर है केंद्रीय गृह मंत्री ने बंपर निवेश पर पीठ थपथपाई, साथ ही ब्रांडिंग भी की कलयुग में दो श्रवण कुमार! #UttarakhandNiveshUtsav Trending No.1 Nationwide

गोंडा ट्रेन हादसा: 2 मिनट की देरी और पलट गई ट्रेन… रिपोर्ट में बड़ी लापरवाही का खुलासा

39

यूपी के गोंडा में रेल दुर्घटना को लेकर बड़ी लापरवाही की जानकारी सामने आई है. महज दो मिनट की देरी से ट्रेन दुर्घटना हो गई. गुरुवार को चंडीगढ़ से डिब्रूगढ़ जा रही ट्रेन नंबर 1509 का मनकापुर के पास एक्सीडेंट हो गया था. जानकारी में अब ये बात निकल कर सामने आ रही है कि ट्रैक में गड़बड़ी की वजह से यह हादसा हुआ. जॉइंट रिपोर्ट में डिरेलमेंट को लेकर स्पष्ट बताया गया है कि जिस जगह ट्रेन हादसा हुआ, वहां ट्रैक में कुछ गड़बड़ी थी. 350 मीटर के आसपास ट्रैक टूटी हुई थी और इसी वजह से यह दुर्घटना हुई. इस हादसे में 4 लोगों की जान चली गई.

जॉइंट रिपोर्ट में बताया गया है कि ट्रैक का रखरखाव कर रहे कर्मचारियों ने इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट को आगाह किया था. रेलवे का नियम कहता है कि इस तरह की अगर कोई परेशानी ट्रैक का रखरखाव करने वाले कर्मचारी इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट को देते हैं तो सबसे पहले कॉशन जारी किया जाता है. कॉशन का मतलब संज्ञान लेना है, जिसके मुताबिक नियमों को ध्यान में रखते हुए ही ट्रेन का परिचालन किया जाना चाहिए.

स्टेशन मास्टर को देर से मिला कॉशन आर्डर

मिली जानकारी के मुताबिक दोपहर 2:28 पर यह ट्रेन स्टेशन से निकली जबकि 2:30 पर स्टेशन मास्टर को कॉशन आर्डर जारी हुआ. नियम के मुताबिक जिस जगह पर एक्सीडेंट हुई वहां पर कॉशन आर्डर के मुताबिक 30 किलोमीटर की अधिक रफ्तार से ट्रेन का परिचालन नहीं करना था. लेकिन जब तक स्टेशन मास्टर को कॉशन आर्डर प्राप्त होता तब तक ट्रेन उस जगह पर पहुंच चुकी थी, जहां ट्रैक में खराबी थी. जॉइंट रिपोर्ट में लिखा भी है कि 2:32 पर ट्रेन के डिब्बे पटरी से उतर गए.

रिपोर्ट से साफ है कि 2:28 पर जिस वक्त ट्रेन स्टेशन से गुजरी है, अगर 2 मिनट पहले कॉशन ऑर्डर स्टेशन मास्टर को मिल गया होता तो शायद इतनी बड़ी दुर्घटना नहीं होती.

कई सवाल जिसके जबाव नहीं

पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट को जब इस बात की जानकारी मिली कि वहां ट्रैक खराब है तो उन्होंने तत्काल प्रभाव से कॉशन ऑर्डर जारी कर दिया. यहां तक तो मामला सही है लेकिन नियमों के मुताबिक एक बार जब कॉशन जारी कर दिया जाता है तो जब तक इस कॉशन की तामील ना हो तब तक उस ट्रैक को प्रिजर्व करने का काम भी इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के लोगों का है. तकनीकी रूप से इसको ऐसे समझें कि जब तक कॉशन लागू नहीं हो जाता तब तक उसे पूरे ट्रैक को प्रिजर्व करने का काम इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट का होता है.

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.