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गुजारा भत्ते पर SC के फैसले पर AIMPLB को ऐतराज, बैठक में UCC समेत इन मुद्दों पर प्रस्ताव पास

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आज दिल्ली में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक हुई. मीटिंग में AIMPLB के 51 सदस्य शामिल हुए. AIMPB के प्रवक्ता सैयद कासिम रसूल इलियास ने बैठक की जानकारी देते हुए कहा है कि बोर्ड ने 3 प्रस्ताव पास किये हैं. पहला मुस्लिम महिलाओं को सीआरपीसी की धारा 125 (वर्तमान में BNSS की धारा 144) के तहत गुजारा भत्ता देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ऐतराज जताया है. बोर्ड का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला शरिया कानून से कॉन्फ्लिक्ट करता है. उन्होंने कहा कि मुसलमान शरिया कानून का पाबंद है. वो ऐसा कोई भी काम नहीं कर सकता जो शरिया से कॉन्फ्लिक्ट करता हो. सैयद कासिम रसूल इलियास ने AIMPLB के हवाले से कहा है कि “हमने ये महसूस किया है हिंदुस्तान में हिन्दुओं के लिए हिंदू कोड बिल है, मुसलमानों के लिए शरिया लॉ है. संविधान के आर्टिकल 25 में हमें अपने मजहब के अनुसार जिंदगी गुजारने की आजादी दी गई है, ये हमारा मौलिक अधिकार है.”

‘SC के फैसले से बढ़ेगी महिलाओं की मुसीबत’

सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट का जिक्र करते हुए मुस्लिम पर्सनल बोर्ड के प्रवक्ता ने कहा है कि सर्वोच्च अदालत ने अपने फैसले को ‘इंट्रेस्ट ऑफ वुमेन’ यानी औरतों की भलाई के लिए बताया है, जबकि हमारा ये मानना है कि कोर्ट का ये फैसला औरतों के लिए और मुसीबत खड़ी करेगा. उन्होंने तर्क दिया है कि अगर आदमी को तलाक के बाद भी सारी जिंदगी मेंटेनेंस देना होगा तो वो तलाक ही नहीं देगा, और रिश्तों में जो तल्खी आएगी उसकी वजह से जिंदगी भर औरत को भुगतना होगा.

उन्होंने कहा है कि मु्स्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की वर्किंग कमेटी ने बोर्ड को अथॉरिटी दी है कि लीगल कमेटी से बात कर इस फैसले को कैसे वापस लिया जा सकता है इस पर काम करे.

उत्तराखंड के UCC को करेंगे चैलेंज

वहीं AIMPLB की बैठक में उत्तराखंड में लागू हुए UCC को लेकर भी प्रस्ताव लाया गया है. बोर्ड के प्रवक्ता का कहना है कि UCC भारत की विविधता को खत्म करता है. उन्होंने कहा है कि हम उत्तराखंड के UCC को बहुत जल्दी चैलेंज करेंगे. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि UCC के सिलसिले में अगर केंद्र या कोई राज्य सरकार इस दिशा में आगे बढ़ती है तो इससे बचना चाहिए.

वक्फ की संपत्ति को लेकर भी प्रस्ताव

इसके अलावा वक्फ की संपत्ति को लेकर भी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड ने बैठक में प्रस्ताव पारित किया है. AIMPLB का कहना है कि वक्फ बोर्ड की संपत्ति को लेकर है अगर वक्फ एक्ट को खत्म करने की कोशिश होगी तो हम इसका विरोध करेंगे.

इसके अलावा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने लोकसभा चुनाव के नतीजों पर भी प्रतिक्रिया दी है. बोर्ड के प्रवक्ता ने कहा है कि 2024 का जो चुनाव हुआ उससे ये तो साफ हो गया है कि लोगों ने नफरत के एजेंडे के खिलाफ वोट दिया है, इसलिए बीजेपी बहुमत का आंकड़ा नहीं छू पाई है. उन्होंने कहा कि देश में अभी भी मॉब लिंचिंग हो रही है. बीते दिनों में करीब दर्जन भर मामले सामने आ चुके हैं, इससे देश की छवि खराब हो रही है. सरकार को इस पर कार्रवाई कर उदाहरण सेट करना चाहिए.

वर्शिप एक्ट को लेकर जताई चिंता

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि वर्शिप ऑफ प्लेसेस एक्ट को प्रभावी तरीके से लागू किया जाए. पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि बाबरी मस्जिद डिमोलिशन से पहले वर्शिप ऑफ प्लेसेस एक्ट बना था जिसमें कहा गया था कि बाबरी मस्जिद इस एक्ट को लेकर आखिरी विवाद होगा. बाबरी मस्जिद के फैसले को हमने स्वीकार नहीं किया लेकिन फैसला हमारे खिलाफ गया. और अब कई मस्जिदों को लेकर मुद्दा बनाया जा रहा है. AIMPLB ने कहा है कि हम सुप्रीम कोर्ट से गुज़ारिश करते हैं कि वर्शिप ऑफ प्लेसेस एक्ट को लेकर अब जो भी विवाद हो रहे हैं उन्हें देखा जाए.

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